मानव-समाज में विवाह एक बहुत ही बड़ा रिस्ता माना गया है | यह केवल दो लोगो का अपस में मिलन नहीं बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है | कहा जाता है की पुराने समय में विवाह की कोई प्रथा नहीं थी न ही कोई इसे जनता था | स्त्री पुरुष को साथ रहने की पूरी स्वतंत्रता थी लेकिन आज के समय में भारत देश में विवाह को धार्मिक बंधन एवं कर्तव्य समझा जाता है | कहा जाता है की पुराने समय में यानी की वैदिक युग में यज्ञ करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य था इसीलिए अत्यधिक लोग विवाह करते थे | लेकिन आज के समय में ऐस करना कोई नहीं अनिवार्य है |
शादी के विभिन्न पक्ष (Different sides of marriage):-
हर कोई शादी करना और अपना घर बसाना चाहता है | अगर वयक्तित्व दृष्टि से देखा जाये तो शादी लड़की लड़के की समझदारी, दोनों के सुख, विकास, सहयोग, प्रेम, और निःस्वार्थ त्याग को वैवाहिक जीवन कहा जाता है | शादी के तीन (३) बहुत महत्वपूर्ण पक्ष है|
- विवाह का आर्थिक पक्ष
- कानूनी या विधिक पक्ष
- समाजिक और नैतिक पक्ष
वैवाहिक विधियाँ (Matrimonial methods):-
भारत में कई समाजो के लोग रहते है जिसमे विवाह और संस्कार कुछ अलग-अलग है | हर समाज में अलग-अलग तरह से पति-पत्नी बनने की घोषणा करते है | लेकिन आज के आधुनिक जीवन में विवाह को अपने ख़ुशी के लिए करते है | अब बहुत ही कम रीती रिवाजो का पालन होता है बहुत से लोग अदालत की शादी (court marriage)को सबसे अच्छा मानते है
विवाह की अवधि (Maturity of marriage):-
आज के समय में मानव समाज अपनी सफलता में इतना ब्यस्त हो गया है की अब कोई विवाह की अवधि नहीं रही है कोई कभी भी विवाह कर सकता है वैसे तो कानूनन विवाह की अवधि लड़की की १८ वर्ष से ऊपर और लड़के की २२ वर्ष से ऊपर होनी चाहिए |
कानूनन विवाह (Legal marriage):-